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MP: निकाय चुनाव टालने पर सियासत तेज, बीजेपी और कांग्रेस आए आमने-सामने

निकाय चुनाव टालने को लेकर हाईकोर्ट के जवाब तलब करने पर बीजेपी ने इसे संविधान के साथ खिलवाड़ बताया, तो वहीं जवाब में कांग्रेस सरकार की ओर से मंत्री ने दी सफाई.
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भोपाल. प्रदेश में निकाय चुनाव टालने को लेकर हाईकोर्ट के सरकार से जवाब मांगने पर सियासत गरम हो गई है. बीजेपी ने निकाय चुनाव टालने को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने हार के डर से चुनाव टालने का सरकार पर आरोप लगाया है. बीजेपी ने सरकार पर संविधान के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया है. इसके उलट सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट के सवाल का जवाब दे दिया जाएगा. निकाय चुनाव की प्रक्रिया जारी है.
बीजेपी ने मढ़ा आरोप
निकाय चुनाव टालने के आरोपों पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि नियमों के तहत चुनी हुई परिषद का कार्यकाल खत्म होते ही निकाय चुनाव कराए जाते हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार हार के डर से चुनाव टालने का काम कर रही है. इसलिए मामले में हाईकोर्ट ने भी सरकार से जवाब तलब किया है. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इसका मतलब साफ है कि सरकार चुनाव टालकर अपनी मंशा को पूरा करने की कोशिश में है. सरकार के इस कदम से आम लोगों की तकलीफ बढ़ेगी.
निकाय चुनाव टालने के आरोपों पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि नियमों के तहत चुनी हुई परिषद का कार्यकाल खत्म होते ही निकाय चुनाव कराए जाते हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार हार के डर से चुनाव टालने का काम कर रही है. इसलिए मामले में हाईकोर्ट ने भी सरकार से जवाब तलब किया है. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इसका मतलब साफ है कि सरकार चुनाव टालकर अपनी मंशा को पूरा करने की कोशिश में है. सरकार के इस कदम से आम लोगों की तकलीफ बढ़ेगी.

सरकार ने दिया जवाब
इधर, बीजेपी के आरोपों पर सरकार का कहना है कि निकाय चुनाव को लेकर सरकारी प्रक्रिया जारी है और हाईकोर्ट के सवाल का सरकार जवाब देगी. प्रदेश के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि निकाय चुनाव को लेकर जरूरी परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है. इसके बाद चुनाव कराए जाएंगे. दरअसल प्रदेश के नगरीय निकायों में चुनी परिषद का कार्यकाल खत्म होने पर सरकार ने प्रशासक नियुक्त किए है.
आपको बता दें कि प्रदेश के नगरीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है. 260 निकायों का कार्यकाल जनवरी में खत्म हो चुका है. फरवरी में भोपाल, इंदौर, जबलपुर समेत 30 शहरों में परिषद का कार्यकाल पूरा हो चुका है. इस तरह से 290 निकायों में परिषद का कार्यकाल पूरा होने पर यहां चुनाव हो सकता है.

क्या है नियम
निकाय चुनाव को लेकर चुनाव के छह महीने पहले परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए. इसे सरकार ने बदलकर अब दो महीने कर दिया है. 20 साल पहले महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करते थे, लेकिन अब सरकार ने नियम बदलकर महापौर और अध्यक्ष का चुनाव उसी पद्धति से कराने का फैसला किया है. यानी कि अब महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे तौर पर न होकर अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही होगा. सरकार की मंशा है कि निकायों में कार्यकाल खत्म होने पर अक्टूबर तक कांग्रेसमय माहौल बनाकर अक्टूबर में चुनाव कराए जाएं. यही कारण है कि निकाय चुनाव में देरी हो रही है. लेकिन अब इस मामले में हाईकोर्ट का सरकार से जवाब तलब करने पर सियासी पारा चढ़ गया है.

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