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कवि इंजि सोनू सीताराम धानुक द्वारा लिखी हुई कविता -वही… शिक्षा कहलाती

अवगुणी को जो गुनी बनाती,,,
बुद्धिहीन को जो बुद्धिमानी सिखाती,,,
अंधकार में जो प्रकाश दीप जलाती,,,
निराशा में जो आश जगाती,,,
मुश्किलों में जो हल दिखाती,,,
हां… वही शिक्षा कहलाती,,,
जो उच्च संस्कारो से घिरी रहती,,,
हर मुश्किल में सही राह दिखाती,,,
दो मनो को मजबूती से जोड़ती,,,
यही है जो हर रिश्ता निभाती,,,
छोटा हो या बड़ा कभी बैर ना बनाती,,,
हां… वही शिक्षा कहलाती,,,
ऊंच नीच का भेद मिटाती,,,
इंसान को मानव बनाती,,,
अमीर गरीब को आज़ादी दिलाती,,,
“बेटा” , “बेटी” दोनों बराबर मां बाप को समझाती,,,
हां… साहेब वही शिक्षा कहलाती,,,


© इन्जी. सोनू सीताराम धानुक” सोम”

 

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