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विधानसभा के मानसरोवर सभागार में शनिवार से आयोजित तीन दिवसीय लोकमंथन

भोपाल विधानसभा के मानसरोवर सभागार में शनिवार से आयोजित तीन दिवसीय लोकमंथन कई मायनों में खास होने वाला है। इस बात की पूरी संभावना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से जुड़े विचारक एक मंच पर हो सकते हैं। लोकमंथन के लिए जेएनयू सहित देश के सभी विश्वविद्यालयों को आमंत्रित किया गया है।
कार्यक्रम में कश्मीर, जेएनयू, महिला सशक्तिकरण, नॉर्थ-ईस्ट से लेकर राष्ट्रीय एकता के मुद्दों पर बात होगी। इसमें देश और दुनिया के लगभग 800 विचारक दो दर्जन से ज्यादा सत्रों में विभिन्न् विषयों पर चर्चा करेंगे। इसके निष्कर्ष सरकार को सौंपने के साथ सार्वजनिक किए जाएंगे। लोकमंथन का उद्घाटन शनिवार को सुबह दस बजे स्वामी अवधेशानंद गिरी, राज्यपाल ओपी कोहली और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे।
लोकमंथन की रूपरेखा बताते हुए आयोजन समिति के महासचिव जे. नंदकुमार, भारत नीति प्रतिष्ठान के मानद निदेशक प्रोफेसर राकेश सिन्हा और नरेंद्र जैन ने पत्रकारवार्ता में बताया कि ये राष्ट्रमंथन है। हमें राजनीतिक आजादी तो मिली, लेकिन मानसिक नहीं। नंदकुमार ने कहा कि जाति, राज्य, भाषा के आधार पर समाज को अलग-अलग ग्रुप में बांटने का षड्यंत्र चल रहा है। विशेष विचारधारा के लिए ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे” जैसे नारे भी लगते हैं। कश्मीर के बिना भारत नहीं और भारत के बिना कश्मीर खतरनाक है। लोकमंथन में कश्मीर पर बात होगी तो महिला सशक्तिकरण और नॉर्थ-ईस्ट की समस्याओं को भी विचार किया जाएगा। शुक्रवार को संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की मौजूदगी में मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा लोक कला-संस्कृति प्रदर्शनी का शुभारंभ करेंगे।
वैचारिक बदलाव के संकेत
प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि भारतीय भाषाओं की विद्वान प्रतिभाओं को दबाने-कुचलने का काम हुआ है। 60 साल से एक पक्षीय विचार चल रहा है। लोकमंथन भारत में वैचारिक बदलाव का संकेत है।
गोविंदाचार्य नहीं आएंगे
जे. नंदकुमार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि लोकमंथन में विचारक गोविंदाचार्य को भी आमंत्रण दिया था, लेकिन उनके आने की सहमति नहीं मिली है। केरल के प्रसिद्ध वामपंथी नेता सीके जानू, तीन तलाक के मुद्दे पर कोर्ट जाने वाली जकिया सोमान, तारिक फतेह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, अभिनेता अनुपम खेर, फिल्म डायरेक्टर मधुर भंडारकर, आचार्य डेविड फ्रेवले, राजीव मल्होत्रा, एस. गुरुमूर्ति, विवेक देवोरॉय, प्रो. मकरन्द परांजपे, डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, रिचर्ड हे, स्वामी मित्रानंद, मौलाना सैय्यद अख्तर हुसैन, प्रो. गौतम सेन, सी. ईशाक, सोनल मानसिंह, प्रज्ञा तिवारी, अशोक मडोक, प्रो. कपिल तिवारी, सुदिप्तो सेन, शाहिद सिद्दिकी सहित अन्य विद्वान शामिल होंगे 

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