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कविता

*सेवा, समर्पण व अनुशासन मतलब डॉ. नरोत्तम मिश्रा*

  *(गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के जन्म दिवस (15 अप्रैल) पर विशेष)* *सेवा, समर्पण व अनुशासन मतलब डॉ. नरोत्तम मिश्रा* बृजेश द्विवेदी लगे तो कैसे लगे , उसके कद का अंदाजा कोई आसमाँ है पर , सर झुका कर चलता है.. मशहूर कवि शिवओम अम्बर ने जब अपनी कविता …

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कुछ इस तरह ‘मेरे सपनों की दुनिया’ में रंग बिखरेंगे – प्रीति कुकरेजा

*मेरे सपनों की दुनिया* जन्नत-सा खुबसुरत जहान होगा वो, प्यार के फूलों से महकता आँगन होगा वो!! रंजिशों की तलवारें नहीं चलेंगी वहाँ, एक-दूसरे के दिल में बस बेशुमार प्यार होगा वहाँ!! माता-पिता और बच्चों के बीच कोई फ़ासला ना होगा वहाँ, समझ और प्यार की डोरी से मज़बूत हर …

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कवियत्री उर्वशी शर्मा गौतम द्वारा लिखी मै स्त्री हूँ कविता जरूर पढे़

स्त्री हूँ तन से नाजुक मन से कोमल पर वीरता ,त्याग , स्वजन रक्षार्थ नहीं सुकोमल पुरूष जहाँ गर्दिश से निकलने नशा और दूसरी स्त्रियाँ ढूंँढता है | वहीं स्त्री हालातों से जूझकर , लड़कर बाहर निकलती है | अपने एक ही हथियार हाशिए से वो तरकारी ,चारा , नरभक्षी …

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कवि सोनू धानुक द्वारा लिखी हुई ना छेड़ो कोई बात,आज उदास रहने दो जरूर पढे़

ना छेड़ो कोई बात , आज उदास रहने दो,, ना आओ साथ ,आज खुद के पास रहने दो,, गहराई गम की कितनी है,उसमे उतर कर आऊं,, जीने का तर्ज क्या है ,जवाब इसका पाऊं,, अपनी ही मुठ्ठी में मेरा विश्वास रहने दो,, ना छेड़ो कोई बात , आज उदास रहने …

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कवि रिया माथुर द्वारा लिखी *हर रिश्ता* एक बार जरूर पढे

हर रिश्ता निभाना आना चाहिये। फिर वो पल भर का हो या ज़िन्दगी के लिए। मानती हूं कि लोग हर वक़्त एक जैसे नही होते, पर क्या ये सही ? हमें भी उन्ही की तरह हो जाना चाहिए। आँख भरी अगर वो न समझें, आँख में कूड़ा है कह कर …

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कवि उर्वशी शर्मा गौतम द्वारा लिखी *अनोखा बंधन* एक बार जरूर पढे

अनोखा बंधन याद आता है वो बचपन सुहाना यूँ लड़ना झगड़ना रुठना मनाना बडे़ होकर दूर देश है जाना पर भाई अपनी बहन को भूल न जाना माँ पापा के बाद तुमको ही तो है हर फर्ज निभाना मै जब भी बुलाऊँ तुम आ जाना ना भी कहुँ तब भी …

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कवि मंशा पांडेय द्वारा लिखी चले गये जाने वाले कभी न लौट कर आने वाले कविता एक बार जरूर पढ़े

चले गये जाने वाले कभी न लौटकर आने वाले अपने वतन पर मर गये वो इश्क ऐसा कर गये कौन रोक सकेगा उनको जो थे वतन से वफा निभाने वाले …. चले गये जाने वाले कभी न लौटकर आने वाले न पायल की झनकार सुनी न मोह की पुकार सुनी …

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कवि दिव्या भागवानी द्वारा लिखी काश पक्षी भी बोल सकते कविता एक बार जरूर पढे़

काश पक्षी भी बोल सकते …. …. बच्चों की तरह घर में पलते दे दो पाई चीज खानी है वह भी तो जिद करते काश पक्षी भी बोल सकते….. अपनी आजादी की लड़ाई लड़ते क़फ़स में न रहते फ़क़त आजाद उड़ते रहते काश पक्षी भी बोल सकते …… आसमां की …

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कवि आकांक्षा भटनागर द्वारा लिखी मेहनत हर तरह की होती है और हर जगह पर होती है। एक बार जरूर पढे़

मेहनत हम अक्सर बच्चों से कहते हैं कि बेटा, मेहनत कर लो ताकि भविष्य अच्छा बन सके।जब बात मेहनत की होती है तो सामान्यतः हम दो तरह की मेहनत समझते हैं- एक पूरी सिद्दत से पढ़ने वाली मेहनत या अगर वो न हो सके तो दूसरी मजदूरी कर पसीना बहाने …

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