कितनी चुप्पी झेल ली आज बोल निकल जाने दो, जो सुलग रही मन में चिंगारी आज उसे जल जाने दो दिखा दो तलवार को कितनी ताकत है कलम में, हथियार बना लो स्याही को झूठी शान को बिखर जाने दो! प्रज्ञा शिवहरे “शिवज्ञा” शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
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